हिन्दू सनातन धर्म के अनुसार संपूर्ण दृष्यमान और परिवर्तनशील जगत का आधार अभौतिक व अदृश्य आत्मा है, जो सनातन और अजर-अमर है। हिंदू धर्म अनुसार प्रत्येक पदार्थ में आत्मा का वास होता है। आत्मा स्वयं को अभिव्यक्त करने के लिए शरीर धारण करता है। शरीर में ...
आत्मा एव इदं सर्वम्
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आत्मवान बनो: वेद
आत्मा को चेतन, जीवात्मा, पुरुष, ब्रह्म स्वरूप, साक्षित्व आदि अनेक नामों से जाना जाता जाता है। आत्म तत्व स्वत: सिद्ध और स्वप्रकाश है। प्रत्येक मनुष्य को अपनी आत्मा अर्थात खुद के होने का अनुभव होता है।
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आत्मा के पाँच कोष और चार स्तर
जड़ में प्राण; प्राण में मन; मन में विज्ञान और विज्ञान में आनंद। यह चेतना या आत्मा के रहने के पाँच स्तर हैं। आत्मा इनमें एक साथ रहती है। यह अलग बात है कि किसे किस स्तर का अनुभव होता है। ऐसा कह सकते हैं कि यह पाँच स्तर आत्मा का आवरण है। कोई भी आत्मा ...
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आत्मा का प्राणमय कोश-2
वेद में सृष्टि की उत्पत्ति, विकास, विध्वंस और आत्मा की गति को पंचकोश के क्रम में समझाया गया है। पंचकोश ये हैं- 1. अन्नमय, 2. प्राणमय, 3. मनोमय, 4. विज्ञानमय और 5. आनंदमय। उक्त पंचकोश को ही पाँच तरह का शरीर भी कहा गया है। वेदों की उक्त धारणा ...
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आत्मा का मनोमय कोश-3
वेद में सृष्टि की उत्पत्ति, विकास, विध्वंस और आत्मा की गति को पंचकोश के क्रम में समझाया गया है। पंचकोश ये हैं- 1. अन्नमय, 2. प्राणमय, 3. मनोमय, 4. विज्ञानमय और 5. आनंदमय। उक्त पंचकोश को ही पाँच तरह का शरीर भी कहा गया है। वेदों की उक्त धारणा ...
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अनुभूति के चार स्तर
वेद और वेदांत अनुसार आत्मा होश के कुछ स्तर और उप-स्तर बताएँ गए है। पंचकोश या पंचतत्व से बंधी हुई आत्मा स्वयं को मूलत: त्रिस्तरों में पाती हैं। यहाँ वेद के इस गहन गंभीर ज्ञान को सरल भाषा में प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है। छांदोग्य उपनिषद (8-7) ...
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आत्मा का आनंदमय कोश-5
वेद में सृष्टि की उत्पत्ति, विकास, विध्वंस और आत्मा की गति को पंचकोश के क्रम में समझाया गया है। पंचकोश ये हैं- 1. अन्नमय, 2. प्राणमय, 3. मनोमय, 4. विज्ञानमय और 5. आनंदमय। उक्त पंचकोश को ही पाँच तरह का शरीर भी कहा गया है। वेदों की उक्त धारणा विज्ञान ...
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आत्मा का विज्ञानमय कोश-4
वेद में सृष्टि की उत्पत्ति, विकास, विध्वंस और आत्मा की गति को पंचकोश के क्रम में समझाया गया है। पंचकोश ये हैं- 1. अन्नमय, 2. प्राणमय, 3. मनोमय, 4. विज्ञानमय और 5. आनंदमय। उक्त पंचकोश को ही पाँच तरह का शरीर भी कहा गया है। वेदों की उक्त धारणा विमान ...
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आत्मा का अन्नमय कोश-1
वेद में सृष्टि की उत्पत्ति, विकास, विध्वंस और आत्मा की गति को पंचकोष के क्रम में समझाया गया है। पंच कोष ये हैं- 1. अन्नमय, 2. प्राणमय, 3. मनोमय, 4. विज्ञानमय और 5. आनंदमय। उक्त पंच कोष को ही पाँच तरह का शरीर भी कहा गया है। वेदों की उक्त धारणा ...
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मौत के बाद क्या होता है?
जब शरीर छूटता है तो व्यक्ति के साथ क्या होता है यह सवाल सदियों पुराना है। इस संबंध में जनमानस के चित्त पर रहस्य का पर्दा आज भी कायम है जबकि इसका हल खोज लिया गया है। फिर भी यह बात विज्ञान सम्मत नहीं मानी जाती, क्योंकि यह धर्म का विषय है।
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कौन बनता है भूत, कैसे रहें भूतों से सुरक्षित
आत्मा के तीन स्वरुप माने गए हैं– जीवात्मा, प्रेतात्मा और सूक्ष्मात्मा। जो भौतिक शरीर में वास करती है वह जीवात्मा कहलाती है। जब वासनामय शरीर में जीवात्मा का निवास होता है तब वह प्रेतात्मा कहलाती है। यह आत्मा जब अत्यन्त सूक्ष्म परमाणुओं से निर्मित ...
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कैसा है 'आत्मा' का रंग?
दुनिया का शायद ही कोई व्यक्ति जानता होगा की आत्मा का रंग क्या है। क्या सचमुच ही आत्मा का भी रंग होता है? कहते हैं कि आत्मा का कोई रंग नहीं होता वह तो पानी की तरह रंगहीन है। लेकिन नहीं जनाब 'आत्मा' का भी रंग होता है। यह हम नहीं कह रहे यह शोध और ...
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स्पिरिट मशीन’ से आत्मा से बात करने का दावा
विक्का धर्म की एक पुजारिन ने दावा किया है कि उन्होंने विवादास्पद ‘स्पिरिट मशीन’ की प्रतिकृति के साथ सफल प्रयोग करके आत्माओं से बात की है। ऐसा माना जाता है कि आत्माओं से बातचीत करने के लिए थॉमस एडीसन ने यह मशीन बनाई थी।
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'आत्मा' के बारे में 10 जानकारी
तुम्हें और मुझे ही आत्मा कहा जाता है। तुम्हारे और हमारे ही नाम रखे जाते हैं। जब हम शरीर छोड़ देते हैं तो कुछ लोग तुम्हें या मुझे भूतात्मा मान लेते हैं और कुछ लोग कहते हैं कि उक्त आत्मा का स्वर्गवास हो गया। 'मैं हूँ' यह बोध ही हमें आत्मवान बनाता है ...
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विज्ञान की नजर में शरीर में कहां रहती है आत्मा, जानिए
आत्मा के बारे में हिंदू धर्म के धर्मग्रंथ वेदों में लिखा है कि आत्मा मूलत: मस्तिष्क में निवास करती है। मृत्यु के बाद आत्मा वहां से निकलकर दूसरे जन्म के लिए ब्रह्मांड में परिव्याप्त हो जाती है। कुछ वैज्ञानिकों द्वारा किए गए शोध से इस बात की पुष्टि ...
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श्राद्ध पक्ष : मरने के बाद आत्मा की गति और दुर्गति?
हिंदू धर्म ग्रंथों में आत्मा की अनंत यात्रा का विवरण कई तरह से मिलता है। वेद और गीता के अलावा भागवत पुराण, महाभारत, गरूड़ पुराण, कठोपनिषद, विष्णु पुराण, अग्रिपुराण जैसे ग्रंथों में इन बातों का बहुत जानकारी परक विवरण मिलता है। ऐसे नहीं है किस सभी ...
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आत्मा की सात अवस्थाएं, जानिए
वेद अनुसार जन्म और मृत्यु के बीच और फिर मृत्यु से जन्म के बीच तीन अवस्थाएं ऐसी हैं जो अनवरत और निरंतर चलती रहती हैं। वह तीन अवस्थाएं हैं : जागृत, स्वप्न और सुषुप्ति। उक्त तीन अवस्थाओं से बाहर निकलने की विधि का नाम ही है हिन्दू धर्म।
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श्राद्ध पक्ष : मरने के बाद आत्मा की गति और दुर्गति?
हिंदू धर्म ग्रंथों में आत्मा की अनंत यात्रा का विवरण कई तरह से मिलता है। वेद और गीता के अलावा भागवत पुराण, महाभारत, गरूड़ पुराण, कठोपनिषद, विष्णु पुराण, अग्रिपुराण जैसे ग्रंथों में इन बातों का बहुत जानकारी परक विवरण मिलता है। ऐसे नहीं है किस सभी ...
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मौत के बाद क्या होता है?
जब शरीर छूटता है तो व्यक्ति के साथ क्या होता है यह सवाल सदियों पुराना है। इस संबंध में जनमानस के चित्त पर रहस्य का पर्दा आज भी कायम है जबकि इसका हल खोज लिया गया है। फिर भी यह बात विज्ञान सम्मत नहीं मानी जाती, क्योंकि यह धर्म का विषय है।
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मृत्यु का ज्ञान कैसे हो, जानिए 10 तरीके
वैसे मृत्यु का ज्ञान प्राप्त करने के वेद, उपनिषद, गीता और योग में उल्लेख मिलता है। मृत्यु का ज्ञान अर्थात यह कि आप कैसे जान लें कि आपकी मृत्यु कब, कैसे और कहां होगी। हर कोई यह जानना चाहता होगा।
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