गति बहुत महत्वपूर्ण है। गति होती है ध्वनि कंपन और कर्म से। यह दोनों ही स्थिति चित्त का हिस्सा बन जाती है। कर्म, विचार और भावनाएं भी एक गति ही है, जिससे चित्त की वृत्तियां निर्मित होती है। योग के अनुसार चित्त की वृत्तियों से मुक्ति होकर स्थिर हो जाना ...
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