यदि आप यह महसूस करते हो कि मेरा अस्तित्व है तो खुद से कभी यह सवाल भी पूछा होगा कि मरने के बाद व्यक्ति या आत्मा को कब मिलता है दूसरा जन्म या दूसरा शरीर? वेद और पुराणों में इस संबंध में भिन्न-भिन्न उल्लेख मिलता है। वेदों के तत्वज्ञान को उपनिषद या ...
मरने के बाद कब मिलता है दूसरा शरीर?
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मौत के बाद होती है ये गतियां...
हिन्दू धर्मानुसार मरने के बाद आत्मा की मुख्यतौर पर तीन तरह की गतियां होती हैं- 1.उर्ध्व गति, 2.स्थिर गति और 3.अधोगति। इसे ही अगति और गति में विभाजित किया गया है।
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आत्मा एव इदं सर्वम्
हिन्दू सनातन धर्म के अनुसार संपूर्ण दृष्यमान और परिवर्तनशील जगत का आधार अभौतिक व अदृश्य आत्मा है, जो सनातन और अजर-अमर है। हिंदू धर्म अनुसार प्रत्येक पदार्थ में आत्मा का वास होता है। आत्मा स्वयं को अभिव्यक्त करने के लिए शरीर धारण करता है। शरीर में ...
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हिन्दू धर्म का 'जीवन एक चक्र है' यह सिद्धांत सही है?
दुनिया में दो तरह के धर्म है विश्वास प्रधान और कर्म प्रधान। हिन्दू धर्म इन दोनों के बीच एक तीसरा मार्ग है। दरअस्ल जीवन बहुत ही स्पष्ट है लेकिन देखने में विरोधाभासी लगता है। विश्वास प्रधान धर्म मानते हैं कि मरने के बाद ईश्वर के समक्ष प्रस्तुत होना ...
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शरीर से बाहर निकलने की अचूक विधि जानकर चौंक जाएंगे...
क्या आप चाहते हैं अपने शरीर से बाहर निकलकर उड़ते हुए देश-दुनिया में घूमना? ध्वनि की गति से भी तेज गति से उड़कर आप अमेरिका या अमेरिका से भारत आ सकते हैं। निश्चित ही सुनने में यह आपको कठिन, अजीब या हास्यापद लगे, लेकिन यह बहुत ही आसान है। आप इसे ...
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ब्रह्मांड में कौन किससे बड़ी शक्ति है?
यह सही है कि न कोई बड़ा है और न कोई छोटा, लेकिन मनुष्य की बुद्धि भेद करना जानती है। उसे इसी तरह से समझ में आता है। यह कहना की सभी समान है या सभी उस परम सत्य के ही अंश है। ऐसा कहने से समझ में नहीं आता है। यहां हम स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि आपको ...
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क्या होगा आत्मज्ञान प्राप्त करने से?
व्यक्ति खुद को छोड़कर तमाम तरह के ज्ञान को रखने का दंभ करता है। जैसे, ईश्वर, धर्म, देश, विदेश, ज्ञान, विज्ञान, तकनीक, साहित्य, समाज, राजनीति आदि। लेकिन यदि आप खुद को छोड़कर सब कुछ पा भी लेते हैं तो मरने के बाद जो पाया है वह खोने ही वाला है। हालांकि ...
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आत्मा का प्रकार, रंग और साइज जानकर चौंक जाएंगे
आप और हम सभी आत्मा ही हैं। जब हम शरीर छोड़ देते हैं तो कुछ लोग तुम्हें या मुझे भूतात्मा मान लेते हैं और कुछ लोग कहते हैं कि उक्त आत्मा का स्वर्गवास हो गया। 'मैं हूँ' यह बोध ही हमें आत्मवान बनाता है ऐसा वेद, गीता और पुराणों में लिखा है।
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प्रलयकाल में यहां रहती हैं सामान्य और पापी आत्माएं...
प्रलय का अर्थ : प्रलय का अर्थ होता है संसार का अपने मूल कारण प्रकृति में सर्वथा लीन हो जाना। प्रकृति का ब्रह्म में लय (लीन) हो जाना ही प्रलय है। यह संपूर्ण ब्रह्मांड ही प्रकृति कही गई है। इसे ही शक्ति कहते हैं।
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जैसी मति वैसी गति, ऐसे बनेंगे असुत्ता योगी
तीन अवस्थाएं हैं- जाग्रत, स्वप्न और सुषुप्ति। उक्त 3 तरह की अवस्थाओं के अलावा हमने और किसी प्रकार की अवस्था को नहीं जाना है। जगत 3 स्तरों वाला है- एक स्थूल जगत जिसकी अनुभूति जाग्रत अवस्था में होती है। दूसरा, सूक्ष्म जगत जिसका स्वप्न में अनुभव करते ...
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शरीर के भीतर के 28 प्राणों को जानकर रह जाएंगे हैरान
हमारा शरीर ब्रह्मांड की एक ईकाई है। जैसा ऊपर, वैसा नीचे। जैसा बाहर, वैसा भीतर। संपूर्ण ब्रह्मांड को समझने के बजाय यदि आप खुद के शरीर की संवरचना को समझ लेंगे तो ब्राह्मांड और उसके संचालित होने की प्रक्रिया को भी समझ जाएंगे। यहां प्रस्तुत है शरीर में ...
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गरूड़ पुराण में मृत व्यक्ति को जिंदा करने का लिखा है ये मंत्र
गरुड़ पुराण के बारे में सभी जानते होंगे। गरुड़ पुराण में स्वर्ग, नरक, पाप, पुण्य के अलावा भी बहुत कुछ है। उसमें ज्ञान, विज्ञान, नीति, नियम और धर्म की बाते हैं। गरुड़ पुराण में एक ओर जहां मौत का रहस्य है जो दूसरी ओर जीवन का रहस्य भी छिपा हुआ है।
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आत्महत्या करने के बाद क्या होता है आत्मा के साथ, जानिए रहस्य...
पहली बात तो यह कि आत्महत्या शब्द ही गलत है, लेकिन यह अब प्रचलन में है। आत्मा की किसी भी रीति से हत्या नहीं की जा सकती। हत्या होती है शरीर की। इसे स्वघात या देहहत्या कह सकते हैं। दूसरों की हत्या से ब्रह्म दोष लगता है लेकिन खुद की ही देह की हत्या करना ...
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यदि ये 6 संकेत समझ लिए तो पिछले जन्म का दरवाजा खुल जाएगा
मन और चित्त में अंतर है। चित्त में एक लाख जन्मों की स्मृतियां संग्रहित रहती है। चित्त कभी न नष्ट होने वाली हार्ड डिस्क की तरह होता है। वर्तमान जन्म से पहले का जन्म सबसे ज्यादा स्पष्ट होता है, क्योंकि उस जन्म में मरकर ही हम इस जन्म में आए हैं। ताजा ...
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शरीर छोड़ने के बाद आत्मा कहां पहुंच जाती है, जानिए रहस्य
वेद, स्मृति और पुराणों अनुसार आत्मा की गति और उसके किसी लोक में पहुंचना का वर्णन अलग-अलग मिलता है। हम हां पौराणिक मत को जानेंगे लेकिन पहले संक्षिप्त में वैदिक मत भी जान लें जो कि गति के संदर्भ में है।
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कौन हैं हमारे दिव्य पितर, जानिए रहस्य
धर्मशास्त्रों के अनुसार पितरों का निवास चंद्रमा के उर्ध्वभाग में माना गया है। ये आत्माएं मृत्यु के बाद 1 से लेकर 100 वर्ष तक मृत्यु और पुनर्जन्म की मध्य की स्थिति में रहती हैं। पितृलोक के श्रेष्ठ पितरों को न्यायदात्री समिति का सदस्य माना जाता है।
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जन्म, मृत्यु और पुनर्जन्म किसे कहते हैं?
अधिकतर लोगों को यह प्रश्न कठिन या धार्मिक लग सकते हैं क्योंकि उन्होंने वेद, उपनिषद या गीता को नहीं पढ़ा है। उसमें शाश्वत प्रश्नों के शाश्वत उत्तर है।
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आदमी खाली हाथ नहीं आता, मरने के बाद 3 चीजें साथ ले जाता है, जानिए रहस्य
सब कहते हैं कि मरने के बाद कुछ भी साथ नहीं जाता है सब यहीं का यहीं धरा रह जाता है। आदमी खाली हाथ आया था और खाली हाथ चला जाता है लेकिन यह सत्य नहीं है। ऐसे कई बात है जो दुनिया में प्रचलित है लेकिन वह सत्य नहीं है। आओ जानते हैं कि आदमी जन्म लेता है तो ...
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अंतरिक्ष में यहां रहते हैं भगवान, लेकिन क्यों नहीं पहुंच सकता मनुष्य वहां
हम यहां भगवान की नहीं बल्कि ईश्वर की, परमात्मा की या ब्रह्म की बात कर रहे हैं। वर्तमान में लोग भगवान शब्द को ईश्वर से जोड़ते हैं इसीलिए हमने हेडिंग में भगवान रखा। कोई मनुष्य देवता या भगवान बन सकता है लेकिन ईश्वर या परमात्मा नहीं। वेद कहते हैं कि ...
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मरने के बाद आत्मा शरीर के किस स्थान से निकलती है?
गीता से बढ़कर है उपनिषद और उपनिषद से बढ़कर है वेद। उक्त तीनों ही हिन्दू धर्म के धर्मग्रंथ है बाकी नहीं। बृहदारण्यक उपनिषद में मृत्यु व अन्य शरीर धारण करने का वर्णन मिलता है। वर्तमान शरीर को छोड़कर अन्य शरीर प्राप्ति में कितना समय लगता है और कैसे वह ...
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